रामायण कला उत्सव

From left to right: Dimple Trivedi, Deepa Mishra, Kanak Rekha Chauhan, Apra Kuchhal, Anindita Chatterjee, Aarti Gupta, Vidya Vindu Singh and Praveen Kumar light the inaugural lamp of the Ramayana Kala Utsav.

Dimple Trivedi, Deepa Mishra, Kanak Rekha Chauhan, Apra Kuchhal, Anindita Chatterjee and Aarti Gupta with Vidya Vindu Singh and Praveen Kumar as they light the inaugural lamp.

प्रभा खेतान फाउंडेशन और अहसास वुमन लखनऊ और कानपुर के सौजन्य से अयोध्या में रामायण कला उत्सव का उद्घाटन समारोह संपन्न हुआ। संचालन अहसास वुमन लखनऊ डिंपल त्रिवेदी ने किया। स्वागत वक्तव्य आरती गुप्ता ने दिया और अपरा कुच्छल ने राजस्थान तथा मध्य भारत सहित दुनिया के पचास से भी अधिक शहरों में फ़ाउंडेशन द्वारा किए गए कार्यों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में सभी अतिथियों का स्वागत प्रभा खेतान फाउंडेशन की कार्यकारी न्यासी अनिंदिता चटर्जी ने किया। इस कार्यक्रम के अंत में नृत्यांगना एवं अभिनेत्री अहसास वुमन नोएडा शिंजिनी कुलकर्णी ने अपनी एक प्रस्तुति दी।

इसी कड़ी में श्रीराम की अस्मिता और भारत की पहचान विषय पर आयोजित कार्यक्रम में विद्या विंदु सिंह एवं उदय प्रताप सिंह से आरती गुप्ता ने बातचीत की। विंदु सिंह ने कहा कि भारत का प्रत्येक व्यक्ति श्री राम को जीता है। गुप्ता ने प्रताप सिंह से श्रीराम के भारत के युवाओं पर पड़ने वाले प्रभाव से जुड़ा एक प्रश्न किया। प्रताप सिंह ने लेखक कुबेर नाथ राय को उद्धृत करते हुए कहा कि जो राम हैं वही भारत है और जो भारत ही वही राम है।

इस उत्सव के तीसरे सत्र की मुख्य अतिथि लेखक आशा प्रभात एवं मीनाक्षी पॉल ने राम कथा में जानकी का महत्व विषय पर पहाड़ी लोककथाओं के संदर्भ से सीता पर अपने विचार व्यक्त किए। कोरल दासगुप्ता ने दोनों ही वक्ताओं से बड़े ही रोचक सवाल किए जिनका इन दोनों ने विस्तृत एवं संतुलित जवाब दिया।

रिटेलिंग रामायण ओवर सेंचुरीज़ नाम के चौथे सत्र में कनक रेखा चौहान ने उदय प्रताप सिंह से बातचीत की। इस बातचीत के दौरान सिंह ने कहा कि राम अनंतकाल से प्रासंगिक हैं और इसलिए ही कवि को कहना पड़ा कि हरि अनंत हरिकथा अनंता।

इस उत्सव का पाँचवाँ सत्र बहुत ही रोचक था। आधुनिक संदर्भ में रामायण नाम के इस सत्र में अनंत विजय ने बद्रीनारायण तथा कोरल दासगुप्ता से बातचीत की। बातचीत में बद्रीनारायण ने बताया कि रामकथा जब वैश्विक साहित्य का हिस्सा बनी तब इसके बुद्धिजीवी संस्करण का अस्तित्व सामने आया जिसमें जाति की अवधारणा को शामिल किया गया।

वार एवं डिप्लोमेसी विषय वाले छठे सत्र में मनोज राजन त्रिपाठी ने आनंद नीलकंठन और अनंत विजय से रामायण में युद्ध एवं कूटनीति के अस्तित्व से जुड़े सवाल पूछे। वक्ताओं के संतुलित एवं तार्किक उत्तर के साथ यह सत्र समाप्त हुआ।

A painting of Rama taking aim with a bow and arrow at the many-headed Ravana
A painting by Sudipta Kundu

उत्सव के सातवें सत्र की शुरुआत दीपा मिश्रा एवं नीलकंठन की बातचीत से हुई। इस सत्र में मिश्रा ने नीलकंठन से रावण के कई रूपों से जुड़े सवाल पूछे।

इस उत्सव का आठवें सत्र का विषय था रामायण इन पर्फ़ॉर्मिंग आर्ट्स। इसमें सोनल मानसिंह ने तुलसीदास रचित रामायण के विभिन्न श्लोकों का सविस्तार विवरण किया।

मदर अर्थ एंड क्लाइमेट चेंज: सीता’ज़ प्रोफ़ेसी विषय पर आयोजित नौवें सत्र में दासगुप्ता ने पॉल एवं नीलकंठन से बातचीत की। इस सत्र में नीलकंठन ने श्रोताओं के सामने सीता अपहरण के विभिन्न संस्करणों का रोचक विश्लेषण किया। इस बातचीत में पॉल ने रामकथा में प्रकृति की उपस्थिति पर अपनी राय रखी।

लोक में राम वाले सत्र में लोकगीतों में राम कथा पर बातचीत की गई। सत्र के वक्ताओं में मालिनी अवस्थी, यतींद्र मिश्र, मीनाक्षी पॉल थे। मनोज राजन त्रिपाठी इस सत्र के सूत्रधार थे।

वैश्विक संदर्भ में रामायण एवं उसके पात्र नामक सत्र में मीनाक्षी पॉल ने बद्रीनारायण एवं आशुतोष शुक्ल से रामायण एवं उसके विभिन्न पात्रों से जुड़े कई सवाल पूछे। इन सवालों में वैश्विक संदर्भ में रामायण के पात्रों की प्रासंगिकता के विषय पर विशेष जोर दिया गया।

म्यूज़िक ट्रेडिशन इन अयोध्या के सत्र में अहसास वुमन नॉएडा शिंजिनी कुलकर्णी ने लोकगायिका मालिनी अवस्थी से बातचीत की। अवस्थी ने कहा कि यहाँ के लोग अपने लोक संगीत में राम और उनके संघर्षों को अपने निजी दुखों एवं संघर्षों से जोड़ कर देखते हैं।

फ़िल्मों में श्रीराम का चरित्र चित्रण नाम से आयोजित सत्र में मनोज राजन त्रिपाठी ने अनंत विजय एवं यतींद्र मिश्र से बातचीत की।

प्रभा खेतान फाउंडेशन और अहसास वुमन द्वारा आयोजित रामायण कला उत्सव के तीसरे दिन के अंतिम सत्र में समापन मानसिंह ने अपनी विश्वप्रसिद्ध नाटिका कथा सियाराम के कुछ प्रसंगकों को प्रस्तुत किया। लेक्चर डेमन्स्ट्रेशन बाई सोनल मानसिंह नाम से आयोजित इस प्रस्तुति में ऋषिशंकर उपाध्याय पखावज एवं बोल पढँत पर मानसिंह का संगत किया।