प्रभा खेतान फ़ाउंडेशन के चर्चित कार्यक्रम ‘कलम’ का आयोजन नागपुर में रेडिसन ब्लू में किया गया जिसमें जाने-माने शायर आलोक श्रीवास्तव की शायरी के संकलन ‘आमीन’ के बहाने उनकी शायरी के सफर पर बातचीत हुई। बातचीत नागपुर की अहसास विमेन मोनिका भगवागर ने की।
भगवावर ने बातचीत की शुरुआत में उनसे यह सवाल किया कि आपके लिखी ग़ज़लों को हाल में हरिहरण ने आवाज़ दी। इससे पहले जगजीत सिंह, पंकज उधास, उस्ताद राशिद खान जैसे कलाकार आपकी गज़लों को आवाज़ दे चुके हैं। आपने अमिताभ बच्चन के साथ भी काम किया है। आपका सारा ही काम बहुत संजीदा और गम्भीर है। श्रीवास्तव ने विवेकानंद के जीवन के एक प्रसंग के हवाले से कहा कि जिस समय आप बोलते हैं, लिखते है पूरी तहज़ीब आपके पीछे बोल रही होती है और वही आपके काम में नजर आती है। उन्होंने अपनी कविता की संजीदगी का श्रेय अपने शहर विदिशा तथा अपने परिवार को दिया।
एक सवाल के जवाब में श्रीवास्तव ने यह कहा कि ऐसे समय में जब चीज़ें दरक रही हों यह बहुत ज़रूरी है कि एक शख़्स हो जो पुल बनाता हो। उन्होंने कहा कि मेरी कोशिश होती है कि मेरी ज़ुबान पूरी तरह से हिंदी न हो, पूरी तरह से उर्दू न हो। अगर वह पूरी तरह से हिंदुस्तानी हो तो यह मेरी कामयाबी है।
उनकी शायरी के संकलन पर बात करते हुए भगवागर ने उनसे पूछा कि वह कौन सा लम्हा था जब आपने यह तय किया कि आप लेखक ही बनेंगे। श्रीवास्तव ने जवाब में कहा कि वह पिताजी की एक जबर्दस्त पिटाई थी जो बचपन में तब हुई थी जब हम मुशायरा सुनने भोपाल चले गए थे। 1980 के दशक के उत्तरार्ध में हम जगजीत सिंह, मेहंदी हसन, आदि के कैसेट सुनते थे और उनको सुनते हुए ऐसा सोचते कि काश हम भी ऐसा लिखें जिनको ये बड़े बड़े गायक गाएँ। एक दिन मैंने अपनी माँ से कहा कि पिताजी चाहे मुझे मारें पीटें लेकिन एक दिन मैं राइटर ही बनूँगा और मेरी ग़ज़लें जगजीत सिंह साहब गाएँगे। माँ ने कहा आमीन— और वही मेरी किताब का नाम है।
उन्होंने अपना एक शेर सुनाया- मंज़िलें क्या हैं रास्ता क्या है/ हौसला हो तो फ़ासला क्या है।
उनसे पूछा गया कि आप कवि हैं, गीतकार हैं, पत्रकार हैं और हाल में ही आपने देश के 14 वें राष्ट्रपति पर फिल्म भी बनाई है। आप इस सबमें तालमेल किस तरह बिठा पाते हैं। श्रीवास्तव ने जवाब में कहा कि लेखक होने और पत्रकार होने में जो एक डीएनए काम करता है वह है आपकी सजगता और आपका सामाजिक सरोकार। इसलिए कोई भी लेखक बहुत अच्छा पत्रकार हो सकता है या पत्रकार बहुत अच्छा लेखक हो सकता है। श्रीवास्तव ने शिव तांडव स्रोत के अनुवाद से जुड़े अपने अनुभवों को भी साझा किया। उन्होंने श्रोताओं के प्रश्नों के दिलचस्प जवाब दिए और अपने संकलन ‘आमीन’ से ग़ज़लें सुनाकर लोगों का भरपूर मनोरंजन किया और उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया।कलम हिंदी भाषा और साहित्य को प्रोत्साहित करने के लिए प्रभा खेतान फ़ाउंडेशन का एक अनूठा प्रयास है जो अपनी भाषा अपने लोग की सोच को बढ़ावा देता है। चार दशक से भी अधिक समय से प्रभा खेतान फ़ाउंडेशन साहित्य, कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में श्रेष्ठ काम करने में संलग्न है और दुनिया भर के 40 से अधिक शहरों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करता है। अपने इसी प्रयास के तहत फ़ाउंडेशन राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही स्तरों पर कलम के अलावा किताब, लफ़्ज़, एक मुलाक़ात विशेष, सुर और साज, आख़र जैसे कार्यक्रमों का आयोजन भी करता है।