प्रभा खेतान फ़ाउंडेशन के कार्यक्रम कलम का बिलासपुर में आयोजन हुआ जिसमें अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखिका गीतांजलि श्री से अहसास वुमेन गरिमा तिवारी ने बातचीत की। बातचीत की शुरुआत ने श्री ने कहा कि प्रभा खेतान फ़ाउंडेशन बहुत महत्वपूर्ण काम कर रहा है और वह भी अपने आपको इस परिवार का हिस्सा मानती हैं।
1987 में पहली कहानी के प्रकाशन से लेकर अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज़ तक की 35 साल की साहित्यिक यात्रा के बारे में जब पूछा गया तो जवाब देते हुए श्री ने कहा कि कहानी और पुरस्कार दोनों एक राह में नहीं चलते हैं। लेखक अपने लेखन के माध्यम से ही आगे बढ़ता है, पुरस्कार की सड़क अलग होती है। दोनों को एक साथ नहीं देखना चाहिए।
प्रसिद्ध लेखिका कृष्णा सोबती को लेकर जब उनसे सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह युवाओं को बहुत प्रोत्साहित करती थीं और जैसा प्रभावशाली उनका लेखन था उनके व्यक्तित्व में भी वह बात थी। वह अपने आप में एक किताब थी और उनके सान्निध्य से ही आपको प्रेरणा मिलती थी। श्री ने बिलासपुर के श्रोताओं से यह बात साझा की कि जब ‘रेत समाधि’ उपन्यास आया था तो उसकी सबसे पहली समीक्षा कृष्णा सोबती ने लिखी थी और उन्होंने कहा था कि यह बड़ी किताब है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जब मैं लिखती हूँ तो दर्शकों-पाठकों के बारे में नहीं सोचती। नहीं तो उसका असर आपके लेखन पर आने लगता है। लेखक को यह कहाँ पता होता है वह जो लिख रहा है वह पाठकों को पसंद आएगी या नहीं। जब हम लिख रहे होते हैं तो सफलता के बारे में नहीं सोच रहे होते बल्कि पूरी तरह से असफल होने के लिए तैयार रहते हैं।
जब उनसे पूछा गया कि अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिलने के बाद क्या उनको किसी तरह का दबाव अपने लेखन पर महसूस होता है? उनका जवाब था- किस तरह का दबाव? जो भी सच्चा लेखन है उसमें दबाव बाहर से नहीं भीतर से आता है। यह आपकी अपनी चुनौती होती है।
लेखिका ने अपने उपन्यास ‘रेत समाधि’ के एक अंश का पाठ भी किया।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सुनने वाले आए थे और उन्होंने लेखन, पुरस्कार, भाषा आदि को लेकर श्री से बहुत सवाल पूछे जिनका उन्होंने बड़ी सहजता से उत्तर दिया।
कार्यक्रम में अंत में प्रभा खेतान फ़ाउंडेशन, अभिकल्प फ़ाउंडेशन, अहसास वुमेन और मीडिया पार्टनर नई दुनिया की तरफ से श्री तथा उपस्थित साहित्य प्रेमियों का धन्यवाद ज्ञापन अभिजीत तिवारी ने दिया। कलम हिंदी भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए प्रभा खेतान फ़ाउंडेशन का एक अनूठा प्रयास है। अब तक दुनिया भर में कलम के 600 से अधिक सत्र हो चुके हैं। जयपुर और पटना से कलम की शुरुआत हुई थी और आज इसका विस्तार दुनिया भर में हो गया है। कलम का आयोजन श्री सीमेंट की सीएसआर गतिविधि तहत किया जाता है।