एक राजनयिक की साहित्यिक यात्रा

Divya Gautam and Abhay K

Divya Gautam and Abhay K

प्रभा खेतान फ़ाउंडेशन के कार्यक्रम कलम का आयोजन पटना में हुआ। यह आयोजन होटल चाणक्य और नवरस स्कूल ऑफ़ पर्फ़ॉर्मिंग आर्ट्स के तत्वावधान में किया गया और इसके सहयोगी रहे श्री सीमेंट प्राइवट लिमिटेड तथा दैनिक जागरण। कलम के इस आयोजन में दिव्या गौतम ने लेखक-राजनयिक अभय के से उनकी नव-प्रकाशित किताब “द बुक ऑफ़ बिहारी लिट्रेचर” पर बातचीत की।

बातचीत की शुरुआत में गौतम ने अभय के से उनकी लेखन यात्रा और इसके पीछे की प्रेरणा से जुड़े कुछ सवाल किए। अभय के ने इन प्रश्नों के जवाब देने से पहले प्रभा खेतान फ़ाउंडेशन और कलम की पटना टीम का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि फ़ाउंडेशन पिछले कई वर्षों से साहित्य तथा कला के प्रचार-प्रसार के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम कर रहा है। बातचीत को आगे बढ़ाते हुए अभय के ने बताया कि 2003 में भारतीय विदेश सेवा में चयनित होने के बाद वह मॉस्को में कार्यरत थे और उन्हीं दिनों उन्होंने “रिवर वैली टू सिलिकॉन वैली” नाम से अपनी पहली किताब लिखी थी। उन्होंने उपस्थित श्रोताओं को यह भी बताया कि “द बुक ऑफ़ बिहारी लिट्रेचर” सहित उनकी अब तक कुल 12 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। अभय के ने बड़े ही सधे हुए अन्दाज़ में कहा कि उनकी साहित्यिक यात्रा उनकी राजनयिक यात्रा के समानांतर चलती है और दोनों पूरक हैं।

गौतम द्वारा पूछे गए एक अन्य सवाल के जवाब में के ने बताया कि उनकी इस किताब “द बुक ऑफ़ बिहारी लिट्रेचरकी रचना के पीछे उनकी मातृभाषा ‘मगही’ (बिहार की एक स्थानीय भाषा) की भूमिका है। के ने बताया कि अपनी लेखन प्रक्रिया के दौरान उन्होंने ‘मगही’ में लिखे साहित्य की खोज शुरू की और इसमें मिली असफलता ने इस किताब के बीज बोए। बातचीत के दौरान के ने इस किताब में संकलित अपनी और अन्य कवियों की कविताओं का भी पाठ किया।

जब गौतम ने उनसे किताब में शामिल की जाने वाली रचनाओं की चयन प्रक्रिया के बारे में पूछा तो के ने विशेष रूप से रेखांकित करते हुए कहा कि उनकी इस किताब में स्त्री कवियों की कविताएँ बहुतायत में हैं। के ने रचना प्रक्रिया में उनकी सहायता करने वाले अन्य लेखक मित्रों का भी आभार व्यक्त किया।

स्त्री लेखन एवं स्त्रियों द्वारा किए गए लेखन से जुड़े प्रश्न के जवाब में के ने कहा कि कुछ ऐसे स्त्री विषय होते हैं जिनके बारे में एक स्त्री लेखक ही सबसे अच्छी एवं पारदर्शी रचना लिख सकती है। इसी क्रम में उन्होंने हिंदी की एक चर्चित लेखक ‘कविता’ द्वारा लिखी कहानी का ज़िक्र भी किया।

बातचीत के क्रम में के ने अनुवाद, रचना प्रक्रिया, पेशेवर जीवन और साहित्य रचना के बीच के संतुलन, वेश्यावृत्ति, जातीय भेदभाव तथा स्त्री एवं दलित लेखन से जुड़े प्रश्नों के बड़े ही रोचक एवं विस्तृत उत्तर दिए। इस रोचक बातचीत का समापन लेखक के सम्मान तथा सभी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया।कलम हिंदी भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए प्रभा खेतान फ़ाउंडेशन का एक अनूठा प्रयास है जो अपनी भाषा अपने लोग की सोच को बढ़ावा देता है। चार दशक से भी अधिक समय से प्रभा खेतान फ़ाउंडेशन साहित्य, कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में श्रेष्ठ काम करने में संलग्न है और दुनिया भर के 40 से अधिक शहरों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करता है।