प्रभा खेतान फ़ाउंडेशन के कार्यक्रम ‘कलम’ का आयोजन गुलाबी नगरी जयपुर के आईटीसी राजपूताना होटल में किया गया। जिसमें अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित लेखिका गीतांजलि श्री से प्रसिद्ध शिक्षाविद जयश्री पेरिवाल ने बातचीत की।
बातचीत की शुरुआत में गीतांजलि ने कहा कि यह उनके लिए बहुमूल्य पल है क्योंकि साहित्य के क्षेत्र में प्रभा खेतान फ़ाउंडेशन जो कर रहा है वह सच में ग़ज़ब है। आज की दुनिया में जहाँ इतनी गलत-सलत चीज़ें हो रही हैं उसमें किताबों और साहित्य को यह मान देना, किताबों और साहित्य को देश विदेश में फैलाना बहुत बड़ा काम है। इसके लिए हम सब इस संस्था के प्रति अनुगृहीत हैं।
एक सवाल के जवाब में गीतांजलि ने कहा कि सीमाओं के अहसास से ही ऊर्जा आती है। लगता है कि इस सीमा का अतिक्रमण कैसे किया जाए। हमारे सामने हर समय यह चुनौती होती है कि हम सीमाओं को पहचानें और यह सोचें कि उसे लांघना है, पुल बनाना है।
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोई लेखक सीख देने के लिए नहीं लिखता। लेखक का अपना भी कुछ उद्वेलन होता है, वह खुद भी कुछ चीजों को समझना चाहता है। वह खुद समझने के लिए भी कुछ चीज़ें लिखता है। बुढ़ापे में अकेलेपन, अवसाद आदि को लेकर सीख देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारे आसपास ऐसे बूढ़े लोग हैं जो हमें सीख दे रहे हैं, प्रेरणा दे रहे हैं। उन्होंने अपनी माँ का उदाहरण दिया जो 96 साल की उम्र में भी उनकी प्रेरणास्रोत हैं। जब तक आप जीवित हैं उमंग आपके भीतर रहेगी, जिजीविषा आपके भीतर रहेगी।
उन्होंने कहा कि लेखन याद रखने की महिमा को समझाता है और यही किसी लेखक के बारे में बड़ी बात होती है। हम इसलिए लिखते हैं ताकि हम इन चीजों को भूल न जाएँ इन्हें नजरअन्दाज़ न कर जाएँ। लेखन की प्रेरणाओं को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में गीतांजलि ने कहा कि अगर आप संवेदनशील हैं तो आपको हर तरफ से प्रेरणाएँ मिलती हैं। दुःख से, सुख से मिलती है, हर चीज़ से मिलती है। बुकर पुरस्कार से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अंग्रेज़ी के बिना यह किताब इतने व्यापक स्तर पर नहीं पहुँचती लेकिन अगर कोई किताब अच्छी है तो वह अंग्रेज़ी के बिना भी अच्छी ही रहेगी।
बातचीत के बाद गीतांजलि ने जीवन, साहित्य, अनुवाद आदि को लेकर श्रोताओं के सवालों के जवाब दिए। प्रभा खेतान फ़ाउंडेशन राजस्थान तथा सेंट्रल अफ़ेयर्स की मानद संयोजक अपरा कुच्छल ने कार्यक्रम की शुरुआत में मेहमान लेखक और श्रोताओं का स्वागत करते हुए कहा कि कलम प्रभा खेतान फ़ाउंडेशन का एक अनूठा प्रयास है हिंदी भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए। अब तक दुनिया भर में कलम के 600 से अधिक सत्र हो चुके हैं। जयपुर और पटना से कलम की शुरुआत हुई थी और आज इसका विस्तार दुनिया भर में हो गया है। कलम का आयोजन श्री सीमेंट की सीएसआर गतिविधि के तहत किया जाता है।